कश्मीर में शहीद हुए नायक प्रमोद डबराल का रुद्रप्रयाग में हुआ अंतिम संस्कार, छोड़ गए रोता-बिलखता परिवार –
जम्मू कश्मीर में शहीद हुए उत्तराखंड के जवान प्रमोद डबराल का रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी और अलकनंदा के संगम पर अंतिम संस्कार कर दिया गया है. शहीद का शव घर लाए जाने पर शोक का माहौल हो गया. शहीद के परिजनों और इलाके के लोगों ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी. प्रमोद डबराल की तीन साल पहले ही शादी हुई थी.
भारतीय सेना में गढ़वाल रायफल सेकेंड जम्मू कश्मीर में तैनात रुद्रप्रयाग जिले के जवाड़ी भरदार निवासी नायक प्रमोद डबराल शहीद हो गए हैं. उनका पार्थिव शरीर सैन्य जवानों की अगुवाई में आज सुबह जवाड़ी गांव लाया गया. यहां परिवार जनों के साथ ही ग्रामीणों ने शहीद के अंतिम दर्शन किए. यहां से जवान के शव को अंतिम संस्कार के लिए मंदाकिनी-अलकनंदा नदी के संगम ले जाया गया. शहीद के बड़े भाई नरेश डबराल ने उन्हें मुखाग्नि दी. शहीद अपने पीछे माता-पिता, पत्नी, दो साल की बच्ची का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं
जम्मू कश्मीर में शहीद हुआ उत्तराखंड का जवान: बता दें कि रुद्रप्रयाग शहर से सटे गांव जवाड़ी निवासी प्रमोद डबराल 30 वर्ष में देश के लिए शहीद हो गए हैं. बीती 12 सितंबर को आर्मी बस की छत पर ड्यूटी करते समय करंट लगने से वे झुलस हो गए थे. जिसके बाद उन्हें स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया गया. चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित किया. आर्मी के जवान आज सुबह उनके पार्थिव शरीर को जवाड़ी गांव लाए, जहां पहले से मौजूद सैकड़ों की संख्या में मौजूद ग्रामीण जोर-जोर से रोने लगे. परिजनों और ग्रामीणों ने शहीद के अंतिम दर्शन किए.
रुद्रप्रयाग में हुआ शहीद प्रमोद का अंतिम संस्कार: इसके बाद शहीद के शव को गांव से पैदल अलकनंदा-मंदाकिनी के संगम तट पर लाया गया. उनके बड़े भाई राजेन्द्र डबराल ने उन्हें मुखाग्नि दी. छोटी सी उमर में नायक प्रमोद डबराल के शहीद होने से माता शांति देवी, पिता राजेन्द्र डबराल, पत्नी प्रिया सहित बहिन किरण और नीतू का रो-रोकर बुरा हाल है. शहीद की शादी तीन साल पहले ही हुई थी और वह अपने पीछे दो साल की बेटी को छोड़ गया हैं. पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा दिनेश उनियाल ने कहा कि रुद्रप्रयाग शहर से सटे भरदार पट्टी का लाल प्रमोद डबराल ड्यूटी के दौरान देश के लिए शहीद हुआ है. उन्होंने आर्मी में 10 वर्ष दो माह की सेवा दी.
शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल हुए सैकड़ों लोग: शहीद के बचपन के मित्र पंकज कप्रवाण ने बताया कि प्रमोद डबराल का व्यवहार बचपन से ही सबके साथ अच्छा रहा. उनकी मौत की खबर सुनते ही गांव में मातम का माहौल बन गया. भगवान केदार के श्रीचरणों में मित्र प्रमोद को स्थान मिले. शहीद की अंतिम शव यात्रा में राज्य सभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, भाजपा जिलाध्यक्ष महावीर पंवार, विधायक भरत सिंह चौधरी, जिपं उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी, पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल, जिला महामंत्री भारत भूषण भट्ट, अजय सेमवाल, केएन डोभाल, सूमी नेगी, कमल कप्रवाण, प्रसिद्ध समाजसेवी लक्ष्मी प्रसाद डिमरी सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए.
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