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Big breaking :-4000 फायर वॉचर्स का हुआ तीन लाख रुपये का जीवन बीमा, डीबीटी के माध्यम से भेजा जाएगा

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4000 फायर वॉचर्स का हुआ तीन लाख रुपये का जीवन बीमा, डीबीटी के माध्यम से भेजा जाएगा

फायर वॉचर्स को वेतन देने में देरी से जुड़े सवाल पर प्रमुख वन संरक्षक ने कहा कि आगे से उन्हें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से वेतन जारी होगा।प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन ने कहा कि जंगल की आग बुझाने में जुटे 4000 फायर वॉचर्स व नियमित कर्मियों का तीन लाख रुपये का जीवन बीमा कर दिया गया है

 

 

 

। यह बीमा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया नाम की संस्था ने किया है। डॉ. मोहन के मुताबिक, अन्य कंपनियों से भी बीमा के संबंध में बातचीत चल रही है। फायर वॉचर्स को वेतन देने में देरी से जुड़े सवाल पर हॉफ ने कहा कि आगे से उन्हें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से वेतन जारी होगा। मुख्यालय में सभी कर्मचारियों का डाटा तैयार कर लिया गया है

 

राज्य सचिवालय में पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के क्रम में वनाग्नि रोकने के लिए स्थानीय परंपराओं को अपनाया जाएगा। विभाग फायरलाइन तैयार करने में स्थानीय ग्रामीणों को सहयोग लेगा। साथ ही वृक्षारोपण कार्यक्रम में जल संरक्षण कार्यों को शामिल किया जाएगा। वन क्षेत्रों में नमी बढ़ाने के लिए चाल-खाल के संरक्षण के कार्य होंगे। साथ ही वन क्षेत्रों में जल कुंड बनाए जाएंगे।

 

 

ज्वलनशील पिरूल के संग्रह योजना में बदलाव किए जाएंगे ताकि लोगों को बेहतर मूल्य मिल सके। उन्होंने बजट के सवाल पर कहा कि राज्य सेक्टर में सभी जिलों में 10 करोड़ की राशि डीएफओ को जारी कर दी गई है। केंद्र सरकार को भी प्रस्ताव भेजा गया है। कैंपा के तहत भी वनाग्नि नियंत्रण एवं प्रबंधन किया जाता है। उन्होंने कहा कि 15 जून तक फायर सीजन तक वनाग्नि रोकने का अभियान जारी रहेगा।
सूखे की मार से पिछले साल से ज्यादा जले जंगल
जंगल की आग के कारणों से जुड़े प्रश्न पर हॉफ ने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण मौसम है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में अप्रैल महीने में पूरे प्रदेश में 60 मिमी बारिश हुई थी। जबकि अप्रैल 2024 में 6 मिमी बारिश हुई। पिछले साल की तुलना में 10 फीसदी ही बारिश हो पाई। ड्राई स्पैल लंबा होने से स्थिति बिगड़ी। पिछले साल सात मई तक वनाग्नि की 295 घटनाएं हुई थीं और 353.01 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था। जबकि 2024 में इस अवधि तक 975 घटनाओं में 1298.72 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। 2021 और 2022 में वनाग्नि बहुत अधिक भीषण थी। 2021 में 2434 घटनाएं हुईं और 3448.87 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ। 2022 में 1931 घटनाएं हुईं 3094.09 हेक्टेयर जंगल में आग लगी। उन्होंने खेतों में पराली जलाने व पिरूल को भी एक बड़ा कारण बताया।

स्थानीय परंपराओं पर लौटेगा विभाग
विभाग ने तय किया है कि जंगल की आग बुझाने का जो स्थानीय पारंपरिक तरीका था, उसे अपनाया जाएगा। स्थानीय पंरपराएं पुनर्जीवित होंगी, जिसमें फायर लाइन कों साफ-सफाई को जनसहभागिता से सुनिश्चित किया जाएगा। जंगल की आग पर काबू पाने के लिए विभागीय कर्मचारियों के साथ वन पंचायत, स्थानीय सामुदायिक संस्थानों को चिन्हित कर उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कृत भी किया जाएगा।

कितने पेड़ जलें दो दिन में पता चलेगा
वनाग्नि में कितने पेड़ों को क्षति पहुंची और कितने पूरी तरह से नष्ट हो गए, इस प्रश्न के उत्तर में हॉफ ने कहा कि इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। फील्ड में कर्मचारियों को इस कार्य में लगाया गया है। दो दिन में इसकी रिपोर्ट आ जाएगी।

बड़े अफसरों पर एक्शन क्यों नहीं?
वनाग्नि बुझाने में लापरवाही को लेकर केवल निचले स्तर के कर्मचारियों पर की गई कार्रवाई के सवाल हॉफ ने कहा कि सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारियां निर्धारित हैं। यदि बड़े अधिकारी लापरवाही करेंगे तो उनके खिलाफ भी एक्शन होगा। बड़े वन्यजीवों को नुकसान पर उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।

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Author: Swati Panwar
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