Dehradun ISBT का पार्किंग शुल्क बढ़ाने पर लगाई रोक, ऑपरेटरों का पक्ष सुनने के बाद लिया जाएगा फैसल
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की ओर से दून आइएसबीटी में बसों के प्रवेश-पार्किंग शुल्क में 15 अप्रैल से की गई वृद्धि पर सचिव परिवहन अरविंद सिंह ह्यांकी ने अगले तीन माह के लिए रोक लगा दी है। देहरादून-विकासनगर-डाकपत्थर बस यूनियन के निजी बस आपरेटर इस मामले में हाईकोर्ट चले गए थे।
हाईकोर्ट के आदेश पर बुधवार को सचिव परिवहन ने अगले तीन माह के लिए शुल्क वृद्धि पर न केवल रोक लगा दी, बल्कि राज्य परिवहन प्राधिकरण के सचिव को आदेश भी दिए कि वह तीन माह में बस आपरेटरों का पक्ष सुनने के बाद किराये वृद्धि पर निर्णय लें। ऐसे में उत्तराखंड परिवहन निगम को भी सात जून से होने वाली प्रवेश-पार्किंग शुल्क वृद्धि से फिलहाल राहत मिल गई है।
एमडीडीए ने 15 अप्रैल से उत्तराखंड की समस्त बसों का शुल्क करीब सवा दो गुना, जबकि दूसरे राज्यों की बसों का शुल्क चार गुना से अधिक बढ़ा दिया था। चुनाव के समय पर इसका असर यात्री किराये पर पड़ने के दृष्टिगत राज्य सरकार के निर्देश पर एमडीडीए ने उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के लिए शुल्क वृद्धि छह जून तक स्थगित कर दी थी, लेकिन दूसरे राज्यों की परिवहन निगम की बसें और आइएसबीटी से संचालित निजी बसों से बढ़ा हुआ शुल्क लिया जाता रहा
उत्तराखंड परिवहन निगम की जिन बसों का शुल्क पहले 120 रुपये था, उसे बढ़ाकर 250 रुपये कर दिया गया था, जबकि दूसरे राज्यों के परिवहन निगम की बसों के लिए शुल्क 120 रुपये से बढ़ाकर 480 रुपये किया गया था। इस शुल्क में 18 प्रतिशत जीएसटी अलग से लिया जा रहा।
यह शुल्क आइएसबीटी के भीतर चार घंटे तक के लिए निर्धारित किया गया है, जबकि निर्धारित अवधि के बाद का शुल्क अलग है। सरकार के दखल के बाद उत्तराखंड परिवहन निगम को तो शुल्क वृद्धि से छह जून तक राहत मिल गई थी, लेकिन निजी बस आपरेटरों से बढ़ा हुआ शुल्क लिया जाता रहा।
वहीं, देहरादून-विकासनगर-डाकपत्थर बस यूनियन की आइएसबीटी से रोजाना संचालित होने वाली करीब 130 बसों से पूर्व में एकमुश्त 10 हजार रुपये प्रतिमाह शुल्क लिया जाता था, लेकिन नई व्यवस्था के बाद इन बसों से पहले ट्रिप पर जीएसटी के साथ 295 रुपये और दूसरे ट्रिप पर 177 रुपये शुल्क लिया जाने लगा। जिस पर यूनियन ने हाईकोर्ट की शरण ली।
परिवहन निगम देगा अनुरोध पत्र
सचिव परिवहन की ओर से शुल्क वृद्धि में रोक के लिखित आदेश में केवल आवेदक यानी दून-डाकपत्थर बस यूनियन को राहत देने का जिक्र है, जबकि सुनवाई के दौरान परिवहन निगम के महाप्रबंधक दीपक जैन और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। ऐसे में परिवहन निगम का दावा है कि सचिव परिवहन के आदेश उनके लिए भी मान्य होंगे। हालांकि, परिवहन निगम प्रबंधन की ओर से सचिव परिवहन को एक अनुरोध पत्र भेजा जा रहा है, ताकि भ्रम की स्थिति न रहे।
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