Ad
UTTARAKHAND NEWS

Big breaking :-धामी कैबिनेट ने दी ‘वन पंचायत संशोधन नियमावली’ को मंजूरी,नौ सदस्यीय होगी वन पंचायत

NewsHeight-App

*धामी कैबिनेट ने दी ‘वन पंचायत संशोधन नियमावली’ को मंजूरी।*

*वन पंचायतों को मजबूत और स्वावलम्बी बनाने के लिए ब्रिटिश काल के अधिनियमों में किया गया संशोधन।*

*नौ सदस्यीय होगी वन पंचायत, पहली बार निकाय इकाईयों को जोड़ा गया वन पंचायत के वन प्रबंधन से।*

*वन पंचायतों में वन विभाग का सीधा दखल होगा खत्म, पंचायत को मिलेंगे वित्तीय प्रबंधन के अधिकार।*

*वन पंचायतों को अधिकार देकर सीधे बाजार से जोड़ने की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ऐतिहासिक पहल।*

 

 

 

*अधिकार देने के साथ ही वन पंचायत पदाधिकारियों के कर्तव्यों और जवाबदेही भी की गई निर्धारित।*

देहरादून। उत्तराखण्ड में वन पंचायतों को मजबूत और स्वावलम्बी बनाने के लिए धामी कैबिनेट ने वन पंचायत संशोधन नियमावली को मंजूरी दी है। इसके लिए वन पंचायत के ब्रिटिश काल के अधनियमों में संशोधन किया गया है। नई नियमावली के तहत अब नौ सदस्यीय वन पंचायत का गठन किया जाएगा, जिसके पास जड़ी-बूटी उत्पादन, वृक्ष रोपण, जल संचय, वन अग्नि रोकथाम, इको टूरिज्म में भागीदारी के अधिकार होंगे, इससे वन पंचायतों की आय में अभूतपूर्व वृद्धि होने की संभावना है। सबसे अहम बात है कि पहली बार त्रिस्तरीय स्थानीय निकायों को भी वन पंचायत के वन प्रबंधन से जोड़ा गया है।

 

 

 

उत्तराखंड भारत का एक मात्र राज्य है जहां वन पंचायत व्यवस्था लागू है। यह एक ऐतिहासिक सामुदायिक वन प्रबंधन संस्था है जो वर्ष 1930 से संचालित हो रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सोच है कि वन पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए। उनके दिशा निर्देश पर वन पंचायत प्रबंधन के 12 साल बाद बदलाव किए गए हैं।

मौजूदा समय में प्रदेश में कुल 11217 वन पंचायतें गठित हैं जिनके पास 4.52 लाख हैक्टेयर वन क्षेत्र है। वन पंचायत नियमावली में किए गए संशोधन के बाद अब प्रत्येक वन पंचायत 9 सदस्यीय होगी। इसमें एक सदस्य ग्राम प्रधान द्वारा और एक सदस्य जैवविविधता प्रबंधन समिति द्वारा नामित किया जायेगा। ऐसी वन पंचायतें जो नगर निकाय क्षेत्र में आती है वहां नगर निकाय प्रशासन द्वारा एक सदस्य को वन पंचायत में नामित किया जायेगा।

दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सोच है कि वन पंचायतें स्वतंत्र रूप से अपनी उपज का विपणन करें। इस दिशा में जो नियमावली बनाई गई है उसमें वन पंचायतों को अपने अपने क्षेत्रों में जड़ी-बूटी उत्पादन, वृक्ष रोपण, जल संचय, वन अग्नि रोकथाम, इको टूरिज्म में भागीदारी का अधिकार मिलेगा। इससे उन्हें होने वाली आय को वे वनों के रख रखाव में लगा सकेंगे। इतना ही नहीं नए नियमों के तहत अब वन पंचायतों को मजबूत करने के लिए उन्हें गैर प्रकाष्ठीय वन उपज जैसे फूल पत्ती जड़ी-बूटी, झूला घास आदि के रवन्ने अथवा अभिवहन पास जारी करने का अधिकार दिया गया है, इससे प्राप्त शुल्क को भी वन पंचायतों को अपने बैंक खाते में जमा करने का अधिकार होगा। वन पंचायतें अभी तक ग्राम सभा से लगे अपने जंगलों के रखरखाव, वृक्षारोपण, वनाग्नि से बचाव आदि का काम स्वयं सहायता समूह या सहकारिता की तरह करती आई हैं लेकिन इसका प्रबंधन डीएफओ के स्तर से किया जाता था। अब वन पंचायतों के वित्तीय अधिकार बढ़ा दिए गए हैं।

इसके अलावा, वन पंचायतों को वन अपराध करने वालों को से जुर्माना वसूलने जाने का अधिकार भी पहली बार धामी सरकार द्वारा दिया जा रहा है। वन पंचायतों को सीएसआर फंड अथवा अन्य स्रोतों से मिली धनराशि को उनके बैंक खाते में जमा करने का अधिकार दिए जाने की भी व्यवस्था नये नियमावली में की गई है, जिससे वन पंचायतों की आर्थिक स्तिथि को मजबूत किया जा सकेगा। नई नियमावली में न सिर्फ वन पंचायतों के अधिकार बढ़ाये गये हैं बल्कि वन पंचायत पदाधिकारियों की कर्तव्यों और जवाबदेही भी निर्धारित की गई है। वन पंचायतों के वनों में कूड़ा निस्तारण को भी प्राथमिकता में रखा गया है। नई नियमावली में ईको टूरिज्म को प्रोतसाहित करने के लिए भी कई प्राविधान किए गए हैं।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Author

Author: Swati Panwar
Website: newsheight.com
Email: [email protected]
Call: +91 9837825765

To Top