ICMR Report में खुलासा: डॉक्टर लिख रहे गलत परचा, लोगों के स्वास्थ्य के साथ बड़ा खिलवाड़
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि लगभग 45 फीसदी डॉक्टर आधा-अधूरे परचे लिखकर मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
देहरादून: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की इस रिपोर्ट को 13 लोकप्रिय सरकारी अस्पतालों का सर्वे कराने के बाद तैयार किया गया है। अब केंद्र सरकार इस लापरवाही को रोकने के लिए जल्द ही सख्त कदम उठा सकती है।
जब भी हमारे घर में कोई बीमार होता है, तो हम उन्हें अस्पताल ले जाते हैं और एक उम्मीद रहती है कि वे जल्दी से स्वस्थ होकर वापस घर आएँगे। लेकिन क्या आपको पता है कि 45% डॉक्टर मरीजों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने खुलासा किया है कि लगभग 45% डॉक्टर आधा-अधूरा पर्चा लिख रहे हैं, जो सीधे तौर पर मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ICMR ने बताया कि OPD में मरीजों को प्रारंभिक चिकित्सा सलाह देने वाले डॉक्टर बड़ी लापरवाही कर रहे हैं। 13 प्रमुख सरकारी अस्पतालों का सर्वे करने के बाद ICMR की इस रिपोर्ट पर अब केंद्र सरकार इस लापरवाही को रोकने के लिए जल्द ही कठोर कदम उठा सकती है।
13 प्रमुख सरकारी अस्पतालों के पर्चे गलत
वर्ष 2019 में ICMR ने दवाओं के योग्य उपयोग को लेकर एक टास्क फोर्स गठित किया, जिसने अगस्त 2019 से अगस्त 2020 तक 13 अस्पतालों के OPD में सर्वे किया। इनमें दिल्ली AIIMS, सफदरजंग अस्पताल, भोपाल एम्स, बड़ौदा मेडिकल कॉलेज, मुंबई जीएसएमसी, ग्रेटर नोएडा स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज, CMC वेल्लोर, PGI चंडीगढ़ और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज पटना शामिल हैं। इन 13 अस्पतालों से कुल 7,800 मरीजों के परचे (प्रिस्क्रिप्शन) लिए गए। इनमें से 4,838 की जांच की गई, जिनमें से 2,171 परचों में खामियां मिलीं। हैरानी तब हुई जब 475 करीब 9.8% परचे पूरी तरह गलत पाए गए। यह ऐसी स्थिति है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा पैंटोप्राजोल, रेबेप्राजोल-डोमपेरिडोन और एंजाइम दवाएं सबसे अधिक निर्धारित की गईं, जबकि ऊपरी श्वास नली संक्रमण और उच्च रक्तचाप के परचे सबसे अधिक गलत मिले।
दुनियाभर 50% पर्चे गलत पाए गए
वर्ष 1985 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तर्कसंगत परचों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के दिशा-निर्देशों को लागू किया। हालांकि फिर भी दुनियाभर में लगभग 50 फीसदी दवाएं अनुचित तरीके से मरीजों को दी जाती हैं। अधिकांश मरीजों को यह भी नहीं पता होता कि उन्हें कौन सी दवा किस परेशानी के लिए दी जा रही है और यह कब तक सेवन करना है। इसलिए नैदानिक अभ्यास में रोगियों का उपचार सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। एक रिपोर्ट के अनुसार 475 परचों के विश्लेषण में से कुछ अमेरिकी तो कुछ ब्रिटिश दिशा-निर्देशों पर आधारित पाया गया।
18 साल प्रैक्टिस के बाद भी गलती
परीक्षण के अनुसार लगभग सभी प्रिस्क्रिप्शन लिखने वाले डॉक्टर स्नातकोत्तर हैं और प्रैक्टिस करते चार से 18 साल तक हो चुके हैं। पर्चे में दवा की खुराक, लेने की अवधि, कितनी बार सेवन करना है, दवा का फॉर्मूलेशन क्या है आदि जानकारियां मरीज को नहीं दी गई।
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