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Big breaking :-NIVH की दृष्टि दिव्यांग नाबालिग छात्राओं से गंदी हरकत, यौन उत्पीड़न में शिक्षक-उपप्राचार्य को सजा

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एनआईवीएच की दृष्टि दिव्यांग नाबालिग छात्राओं से गंदी हरकत, यौन उत्पीड़न में शिक्षक-उपप्राचार्य को सजा

एनआईईपीवीडी (उस वक्त संस्थान का नाम एनआईवीएच) के तत्कालीन संगीत शिक्षक सुचित नारंग निवासी वासु एस्टेट जाखन ने संस्थान की एक नाबालिग छात्रा का यौन शोषण किया। अन्य छात्राओं के साथ भी अश्लील हरकतें की।

 

 

 

एनआईवीएच, राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान-एनआईईपीवीडी(एनआईईपीवीडी) में छात्राओं के यौन शोषण मामल में शिक्षक और उपप्राचार्य को कोर्ट ने सजा सुनाई है। दोषी तत्कालीन संगीत शिक्षक सुचित नारंग को कोर्ट ने 20 साल कठोर करावास की सजा सुनाई है।

फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज पंकज तोमर ने दोषी पर कुल 60 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। केस में आरोपी को बचाने में मदद की दोषी की तत्कालीन उप प्राचार्य अनुसूया शर्मा को कोर्ट ने छह महीने की सजा सुनाने के साथ ही पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। शासकीय अधिवक्ता किशोर कुमार सिंह ने बताया कि 18 अगस्त को राजपुर थाने में बाल आयोग की तरफ से केस दर्ज कराया गया।

 

 

 

 

आरोप था कि एनआईईपीवीडी (उस वक्त संस्थान का नाम एनआईवीएच) के तत्कालीन संगीत शिक्षक सुचित नारंग निवासी वासु एस्टेट जाखन ने संस्थान की एक नाबालिग छात्रा का यौन शोषण किया। कई अन्य छात्राओं के साथ भी अश्लील हरकतें की।

पुलिस ने जांच के बाद दाखिल की चार्जशीट में सुचित का मुख्य आरोपी बनाने के साथ ही संस्थान की तत्कालीन निदेशक अनुराधा डालमिया, पूर्व उप प्राचार्या डॉ. अनुसूया शर्मा, संस्थान कर्मचारी तेजी और लखनऊ के जिस आश्रम से पीड़ित छात्रा को एनआईवीएच में पढ़ाई के लिए भेजा गया था, उसकी संचालिका पूर्णिमा को भी सह आरोपी बनाया था।

कोर्ट ने सुचित और तत्कालीन उप प्राचार्य अनुसूया शर्मा निवासी इंजीनियर्स एंक्लेव जाखन फाइल ट्रायल के दौरान अलग की गई थी। वहीं हाईकोर्ट के आदेश पर निदेशक अनुराधा डालमिया का नाम ट्रायल से हटा दिया गया था। मंगलवार को कोर्ट ने सुचित नारंग और अनुसूया शर्मा की सजा पर फैसला दिया।

उप प्राचार्य ने दबा दी थी पीड़िता की शिकायत एनआईवीएच में छात्रा के यौन शोषण मामले में पीड़िता ने तत्कालीन उप प्राचार्य से शिकायत की थी। उन्होंने मामले तत्काल कार्रवाई करने के बजाए उसे दबा दिया था। इसलिए उप प्राचार्य को भी कोर्ट ने सजा सुनाई।

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Author: Swati Panwar
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