UTTARAKHAND NEWS

Big breaking :-राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने उत्तराखंड के सभी जिलाधिकारियों को किया दिल्ली तलब, हुआ ये खुलासा

NewsHeight-App

औचक निरीक्षण में खुलासा, उत्तराखंड के मदरसों में यूपी और बिहार से लाकर पढ़ाए जा रहे बच्चेराष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि मदरसों के निरीक्षण के दौरान यह भी पता चला कि एक मदरसे में स्थानीय बच्चों से फीस लेकर पढ़ाया जा रहा है।उत्तराखंड के मदरसों में उत्तर प्रदेश और बिहार से लाकर बच्चे पढ़ाए जा रहे हैं।

 

 

 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने देहरादून के कारगी ग्रांट स्थित कुछ मदरसों का औचक निरीक्षण कर इसका खुलासा किया है।कहा, दोनों मदरसों में इस तरह के 21 बच्चे मिले हैं। कहा, राज्य के मदरसों में वर्तमान में 196 बच्चे हिंदू और गैर इस्लामिक धर्मों के पढ़ रहे हैं। हिंदू बच्चों काे मदरसों में पढ़ाया जाना आपराधिक षड्यंत्र और राज्य की मूल अवधारणा के विपरीत है। इसके लिए अल्पसंख्यक और शिक्षा विभाग बराबर के भागीदार हैं। आयोग को यह भी शिकायत मिली कि मदरसों की मैपिंग में डीएम सहयोग नहीं कर रहे।

इस पर सभी 13 डीएम को समन जारी कर दिल्ली तलब कर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। आयोग अध्यक्ष ने मीडिया सेंटर में मीडिया से वार्ता में कहा, मदरसों के निरीक्षण के दौरान यह भी पता चला कि एक मदरसे में स्थानीय बच्चों से फीस लेकर पढ़ाया जा रहा है। जांच में मिला कि एक स्कूल की मिलीभगत से यह सब हो रहा है। शिक्षा विभाग में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार इसकी वजह हो सकती है।कहा, मदरसों के निरीक्षण के बाद उत्तराखंड में बच्चों के अधिकारों से जुड़े कानूनों के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई। बैठक में बताया गया कि वर्तमान में 196 हिंदू और अन्य गैर इस्लामिक बच्चे मदरसों में पढ़ रहे हैं। संविधान में यह स्पष्ट व्यवस्था है कि किसी बच्चे के माता-पिता की लिखित अनुमति के बिना किसी दूसरे धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती।

 

 

कहा, उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड का गठन इस्लामिक धार्मिक शिक्षा देने के उद्देश्य से एक कानून के द्वारा किया गया है। यह कानून कहता है कि मदरसे इस्लामिक तालीम देने के स्थान होंगे। कहा, इन मदरसों में हिंदू बच्चों का क्या काम। उत्तराखंड राज्य ही अपनी संस्कृति और पहचान को बचाए रखने के लिए बनाया गया है। ऐसे में हिंदू बच्चों को मदरसों में पढ़ाया जाना राज्य की मूल अवधारणा के विपरीत है।

कहा, इन बच्चों के माता-पिता से बात कर स्कूल में दाखिला कराया जाएगा। बैठक में बताया गया कि राज्य में बड़ी संख्या में मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं। जिनकी संख्या 400 से अधिक है। मदरसों की मैपिंग के मसले पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने बताया कि डीएम इसमें सहयोग नहीं कर रहे। मीडिया से वार्ता के दौरान राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा. गीता खन्ना भी मौजूद रही।

 

 

 

प्रदेश की इन योजनाओं को साझा करेगा आयोग
आयोग अध्यक्ष ने कहा, कोविड के दौरान प्रभावित बच्चों को उत्तराखंड में विशेष योजना के तहत आर्थिक सहायता दी जा रही है। आयोग इस जानकारी को अन्य राज्यों के साथ साझा करेगा। वहीं, दिव्यांग बच्चों को पेंशन दी जा रही है, जो अन्य राज्यों के लिए उदाहरण है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 55 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की गई है। सात हजार बच्चों को पेंशन दी जा रही है। मेडिकल कैंप लगाकर सभी चिह्नित बच्चों को स्वास्थ्य प्रमाणपत्र दिए जाएं, ताकि उन्हें पेंशन आदि की सुविधा मिल सके

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Author

Author: Swati Panwar
Website: newsheight.com
Email: [email protected]
Call: +91 9837825765

To Top