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Big breaking :-शिक्षा विभाग से आज की बड़ी खबर, धामी सरकार ने किया शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखिए आदेश

राज्यपाल, निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (केन्द्रीय अधिनियम संख्या 35 वर्ष 2009) की धारा 38 द्वारा शक्तियों का प्रयोग करते हुए उत्तराखण्ड निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का बनाते है:- अधिकार नियमावली 2011 में अग्रेत्तर संशोधन करने की दृष्टि से निम्नलिखित नियमावली

उत्तराखण्ड निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन)

 

1. (1) इस नियमावली का संक्षिप्त नाम उत्तराखण्ड निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियमावली, 2024 है।

(2) यह आगामी शैक्षिक सत्र 2024-25 से प्रवृत्त होगी।

 

2. “उत्तराखण्ड निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011″ में नीचे स्तम्भ-1 में दिये गये नियम 2 के उपनियम (1) के विद्यमान खण्ड (च) के स्थान पर स्तम्भ-2 में दिया गया उपनियम रख दिया जाएगा, अर्थात्ः-

बच्चे” से 6 से 14 वय वर्ग का कोई बालक या बालिका अभिप्रेत है, परन्तु विशिष्ट आवश्यकताधारी बच्चों के लिए बच्चे” से 6 से 18 आयु वर्ग का कोई बालक या बालिका अभिप्रेत है। 06 वर्ष का अभिप्राय है कि बालक या बालिका द्वारा शैक्षिक सत्र प्रारम्भ होने की तिथि से पूर्व 06 वर्ष की आयु पूर्णतः प्राप्त कर ली गई हो,

 

 

 

 

अर्थात् 05 वर्ष पूर्ण करने के पश्चात् 12 माह की अवधि पूर्ण हो चुकी हो। वर्तमान में जिन बच्चों द्वारा प्री-स्कूल (नर्सरी, एल०के०जी०, यू०के०जी०) मे प्रवेश लिया जा चुका है उन्हें, कक्षा-1 में अध्ययन की अनुमति पूर्व के वर्षों की भांति प्रदान की जायेगी तथा उनके आगे की पढ़ाई की निरन्तरता में कोई भी व्यवधान नही होगा। आगामी वर्षों में प्री-स्कूल कक्षाएं संचालित करने वाले विद्यालयों के लिए यह बाध्यकारी होगा कि वे प्री स्कूल कक्षाओं में प्रवेश हेतु न्यूनतम आयु का निर्धारण इस प्रकार करें कि केवल 6 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके बच्चे ही कक्षा-1 में प्रवेश हेतु अर्ह हो। उक्त के साथ ही दिव्यांग बच्चों हेतु विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया इस प्रकार अपनायी जायेगी कि 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक उनकी प्रारम्भिक शिक्षा निर्बाध रूप से पूरी हो सके।

 

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