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Big breaking :-कौन बनेगा उत्तराखंड का DGP, बनेगा स्थाई या भी कार्यवाहक

 

एक तरफ जहां 30 नवम्बर नजदीक आती जा रही है वही दिन पर दिन पुलिस महकमे के साथ साथ आम जनमानस में उत्सुकता बढ़ती जा रही है कि कौन होगा उत्तराखंड का अगला DGP

 

बता दें कि नए DGP के चयन हेतु सभी सातों

ADG के नाम पुलिस मुख्यालय ने शासन को

कई दिन पूर्व ही भेज दिए थे। सूत्र बताते हैं कि

जोन ऑफ कंसीडरेशन में आ रहे सभी सातों

नाम UPSC को भेजने से पहले मुख्यमंत्री की

स्वीकृति / अनुमोदन हेतु उक्त पत्रावली

मुख्यमंत्री सचिवालय भेजी गयी थी, जो कि

अभी तक वंही लंबित है। माना जा रहा है कि

इन्वेस्टर समिट के कार्यों में व्यस्त होने के

कारण मुख्यमंत्री उक्त पत्रावली पर अभी भी

अनुमोदन नही दे पाए हैं।

 

अगर उक्त प्रकरण में अभ भी तेजी दिखाई गई तो नाम UPSC भेजने के बाद, UPSC को बैठक आहूत करनी है जिसमे उत्तराखंड के मुख्यसचिव व मौजूदा DGP को भी प्रतिभाग करना है। जिसके बाद UPSC 3 नामों का पैनल उत्तराखंड शासन को भेजेगा, जिसमे से 30 नवम्बर तक एक नाम का चयन करना काफी मुश्किल लग रहा है क्योंकि इतनी लम्बी प्रक्रिया को पूरा होने में समय लग सकता है।

कार्यवाहक DGP बनाने की तैयारी

स्थायी डीजीपी बनाने की प्रक्रिया समय पर पूरी न होता देख अब यही माना जा रहा है कि उत्तराखंड को पहली बार उत्तरप्रदेश की तर्ज पर कार्यवाहक डीजीपी मिलने जा रहा है। बता दें कि तस्वीर काफी हद तक साफ भी है कि मुख्यमंत्री धामी अपने किस करीबी अधिकारी की ताजपोशी कार्यवाहक डीजीपी पद पर करने जा रहे हैं।

 

 

अशोक कुमार ने एक्सटेंशन को लेकर चल रही सभी अफवाहों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने बताया कि ना ही उन्होंने केंद्र सरकार से न ही राज्य सरकार से सर्विस एक्सटेंशन के लिए आग्रह किया है

 

 

पंजाब के पूर्व डीजीपी वी. के. भावरा की ओर से पंजाब में स्थायी डी. जी. पी. पद पर नियुक्ति को लेकर दायर याचिका पर सेंटर एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में सुनवाई हुई है। ट्रिब्यूनल ने मामले में केंद्र व पंजाब सरकार और UPSC को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को होगी।

 

 

कैट में दायर याचिका में भावरा ने कहा कि उनके डी.जी.पी. पद से हटने के बाद राज्य सरकार ने गौरव यादव को नियुक्त करने में UPSC और अन्य संबंधित प्रोसीजर का पालन नहीं किया। सरकार ने गौरव यादव को एक साल से ज्यादा समय से DGP पद पर नियुक्त किया हुआ है। इसके लिए न UPSC को अफसरों का पैनल भेजा गया और न ही गौरव यादव की नियुक्ति पैनल के आधार पर हुई।

 

 

भावरा 1987 बैच के IPS अधिकारी हैं। उन्होंने गौरव यादव की वरिष्ठता पर भी सवाल उठाया है, क्योंकि गौरव यादव 1992 बैच के IPS अधिकारी हैं। याचिका में कहा गया कि DGP पद के लिए वरिष्ठता सूची में गौरव यादव से आगे कई अधिकारी हैं। जनवरी, 2022 में पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार के समय भावरा को DGP नियुक्त किया गया था, लेकिन 6 महीने बाद ही उन्हें हटाकर यादव को नियुक्त कर दिया गया था।

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Author: Swati Panwar
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